ग़रीब वो होते हैं, जिनके सिर पर छत नहीं होती. ग़रीब वो होते हैं, जिनके सिर पर छत नहीं होती.
पूछे दिल मेरा ये ज़वाल क्यूं दूं मैं खुद से उसको निकाल क्यूं। पूछे दिल मेरा ये ज़वाल क्यूं दूं मैं खुद से उसको निकाल क्यूं।
बैठे हुए सोच रही थी, रास्ता क्या है मंज़िल का ? बैठे हुए सोच रही थी, रास्ता क्या है मंज़िल का ?
वो ही सावन के अधरों में, वो ही है सुरभित अंचल। वो ही सावन के अधरों में, वो ही है सुरभित अंचल।
मुशायरे की मल्लिका, तो कोठे की शान, रात की चाँदनी तो उजाले में गुमनाम। मुशायरे की मल्लिका, तो कोठे की शान, रात की चाँदनी तो उजाले में गुमनाम।
एक उम्र और मिले जिसे जी भर कर है जीना, अपने हिस्से का आसमान अब हमे है छूना। एक उम्र और मिले जिसे जी भर कर है जीना, अपने हिस्से का आसमान अब हमे है छूना।